शुक्रिया और सॉरी शब्द दोनो छोटे से,पर सच में हैं बहुत ही वजनदार। बहुत बड़े बड़े काम बन जाते इनसे, बस इनके मूल में निहित हो अच्छे विचार।। की है गर कोई गलती, सॉरी कहने से हम छोटे तो नहीं हो जाते। क्यों अहंकार की खड़ी कर दीवार, नफरत के भावों की भट्ठी जलाते??? क्यों नहीं आता समझ क्रोध,लोभ और घृणा दूसरे को प्रभावित करने से पहले हमारी रूह को कर देते हैं रेजा रेजा और तार तार।। शुक्रिया और सॉरी शब्द हैं छोटे, पर सच में ही हैं बड़े वजन दार।। कोई करता है गर कुछ भी अच्छा हमारे लिए,फिर तत्क्ष्ण ही शुक्रिया कहने में देरी क्यों??? कृतज्ञ होना भी आना चाहिए हमे, बोलने की गलियां अंधेरी क्यों???? बहुत भले भाव हैं दोनो ही, चाहे शुक्रिया हो या हो सॉरी। अहंकार का कर देते हैं दमन ये, जाने हर छोरा और छोरी।। स्नेह प्रेमचंद