कह माधव ने जो गीता में, वही कह गए गुरु रविदास। *कर्म धर्म है मानव का* करो कर्म,ना रखो फल आस।। *करम बंधन में बंध रहियो फल की न तज्जियो आस। करम मानुष का धर्म है, सत भाखे रविदास* कर्म करना धर्म है तो फल पाना सौभाग्य होता है हमारा। यही कह गए रैदास सभी को, जान ले वाणी उनकी ये जग सारा।। मीरा के गुरु कह गए सबसे, हर युग में प्रासंगिक उनका कथन। कृष्ण,राम,रहीम, हरि,राघव एक ही परमेश्वर के नाम अलग हैं, थोड़ा तो कर के देखो मनन।। एक ही ईश्वर की हैं बात सभी वेद,पुराण और कुरान। सब ईश्वर की भगति का पाठ पढ़ाते, ऐसी ही मति का देते ज्ञान।। हीरे से कीमती हैं हरि, हो बेहतर इस सत्य को लें सब जान। हरि भगति छोड़ करें जो अन्य आशा, नरक जाने का करते आहवान।। किसी जाति में जन्म लेने से कोई नीच नहीं होता। बुरे कर्म करे, वो नीच है, क्यों विवेक का परिचय अंतरात्मा से नहीं होता??? गुणहीन ब्राह्मण भी नहीं होता पूजनीय,और पूजनीय हो सकता है गुणी चंडाल। जाति नहीं,कर्म मापदंड हो व्यक्तित्व का,भेद भाव नीति विकराल।। *मन चंगा तो कठौती में गंगा* एक ही पंक्ति में समझा गया जीवन का सार। कोई राग न हो,कोई ...