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Poem on Mother s day

लोग कहते हैं आज मातृ दिवस है कौन सा दिवस है जो बिन मां के हो??? **स्नेह,समर्पण,सुरक्षा,सहयोग जिस एक ही गांव में रहते हैं मेरी छोटी सी समझ को आता है समझ,उसे मां की ठंडी छांव कहते हैं** **तेरी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा सी अधिक तो नहीं आता कहना तूं रही कौओं में हंसा सी** 11स्वर और 33 व्यंजन भी कम हैं जो तेरे बारे में बता पाऊं मां तेरे जैसी कर्मठता और जिजीविषा बता दे कहां से लाऊं???? *जिंदगी की किताब के हर किरतास पर नजर मां तूं हीं तूं नजर आती है जैसे एक सांस आती है  एक सांस जाती है* कहां से लाऊं वो बारह खड़ी जो तेरे बारे में कह पाऊं नहीं सामर्थ्य मेरे लफ्जों में जो भावों को मैं बता पाऊं

प्रेम से खूबसूरत नहीं कोई अहसास

जहां प्रेम है वहां करुणा है((विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))

मूल मंत्र

प्रेम से खूबसूरत नहीं कोई अहसास

मरहम नहीं मिलता thought by Sneh premchand

ताल तबले कि

मात पिता Thought by Sneh premchand

सबसे अच्छी लाइफलाइन

दिल तो है दिल

विश्वास कीजे

आस न टूटे साथ न छूटे

आस n टूटे,साथ n छूटे

भारतीय जीवन बीमा निगम thought by snehpremchand

भा - --रतीय जीवन बीमा निगम का दूसरा नाम है सुरक्षा और विशवास, र---खा है जिसने स्नेह और सौहार्द सभी से,तभी निगम है अति खास, ती---र्थ भी कर्म है,धाम भी कर्म है,इसी सोच से हुआ निगम का सतत विकास, य---हाँ, वहाँ सर्वत्र पसारे पाँव निगम ने,अपने अस्तित्व का इसे आभास, जी--वन के साथ भी,जीवन के बाद भी,निराशा में भी आशा का किया है वास वं--चित न रहे कोई भी उत्पादों से इसके,यथासंभव किया हर प्रयास न---भ सी छू ली हैं ऊंचाईयां इसने आता है धरा के भी रहना पास बी---च भंवर में जब कोई चला जाता है, छोड़ कर,होती है निगम से फिर आस मा---हौल बनाया निगम ने ऐसा,जैसे कुसुम में होती है सुवास नि---यमो को नही रखा कभी ताक पर,हर वर्ग को जोड़ कर खुद से,सतत किया जिसने प्रयास ग---रिमा अपनी रखी बनाई,सबको जीवन मे राह दिखाई,दिनकर से तेज का इसमे वास म---जबूत हौंसला,बुलंद इरादे,जनकल्याण की भावना का न हुआ कभी ह्रास।।              स्नेहप्रेमचंद