वह जाने क्या क्या सिखा गई??? कथनी से है करनी बेहतर, बिन बोले बहुत कुछ करके दिखा गई।। बुलंद हो हौंसले तो मिल जाती है मंजिल, बहुत अच्छे से जता गई। वह जाने क्या क्या सिखा गई।। संकल्प से सिद्धि तक का सफर बिन रुके,बिन थके ही पूरा करके दिखा गई।। फर्श से और अर्श तक का सफर बखूबी हो सकता है पूरा, गर हों सच्चे प्रयास हमारे, वह करके सच्चे प्रयास इस सफर को पूरा करके दिखा गई।। सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी बखूबी बहा गई। वह जाने क्या क्या सिखा गई।। गंगोत्री से गंगासागर तक के सफर में पावन निर्मल गंगा सी संग अपने जाने क्या क्या बहा गई??? दीया तो कहीं भी होगा चमकेगा ही, अपने संग संग तूं हमे भी चमका गई।। तूं जाने क्या क्या सिखा गई।। मुलाकातें अधिक हों ज़रूरी नहीं,पर मुलाकात जो भी हो,उसमे एक बात हो,अपने जीवन से सबको सिखा गई।। *कोई शर्त होती नहीं प्यार में* इस उक्ति को सार्थक बना गई।। *दरो दीवार से घर नहीं होता घर होता है इंसानों से* एक अच्छा इंसान बन कर दिखा गई।। वह जाने क्या क्या सिखा गई।। अहम से वयम, स्व से सर्वे होता है सदा ही बेहतर , यह कहकर नहीं, करके दिखा गई। ...