*हौले हौले शनै शनै* दिन ये एक दिन आ ही जाता है। *कार्य क्षेत्र से हो सेवा निवृत* व्यक्ति घर लौट के आता है।। *जाने कितने ही अनुभवों का टीका जिंदगी भाल पर लगाता है* *कभी छांव कभी धूप सी जिंदगी, पर वो आगे बढ़ता जाता है* धनोपार्जन कर कार्यक्षेत्र में, पूरा परिवार चलाता है। *ब्याह,शादी बच्चों का कैरियर हर रोल बखूबी निभाता है* *सपने बुनते बुनते कब लम्हे उधड़ जाते हैं, सोचने का वक्त नहीं मिल पाता है* यादों का चल पड़ता है कारवां, सफर जिंदगी का, चलता जाता है।। *भागदौड़ की उस जिंदगी में, एक शीतल सा विराम अब आया है* *जैसे कोई थका सा पंथी तरुवर की छाया में आया है* *अब न होगा कोई समय का बंधन, अब वक्त अपने ढंग से जीने का आता है* *हौले हौले शनै शनै* दिन, ये एक दिन आ ही जाता है।। *अब समाज के लिए कुछ करने का वक्त भी आया है* *अब जिंदगी का रिमोट है खुद के हाथ ही,जैसा चाहा वैसे ही सबने चलाया है* *अब अपने शौकों को परवान चढ़ाना* *जाड़ों की गुनगुनी धूप में जी भर अलसाना* *सागर किनारे मचलती लहरों संग रास रचाना* *खूब लगाना ताशों की बाजी, पाक कला को भी चमकाना* *जगह जगह पर घूमने जाना*...