रूठा हो गर कोई आपसे, आज मना लेना उनको, छोड़ अहम की व्यर्थ दीवार। हो सकता है वे जग ही छोड़ जाएं, करते करते आपके मनाने का इंतज़ार।। सक्रांति है एक दूजे को मनाने का त्यौहार, ये गिले शिकवे कुछ साथ नहीं जाएंगे, कर लेना इस सत्य को स्वीकार।। खुशी,शांति,मस्ती आनन्द और दान, ये उपहार हैं सक्रांति के, संग हैं श्रद्धा,प्रेम और मुस्कान।।