शि--क्षा ही नहीं, शिक्षक शिष्य को देता है संस्कार क्ष--मा कर देता है उसकी अनेकों गलतियाँ, मकसद, उसका बस हो शिष्य के जीवन में सुधार क---भी नही चाहता बुरा शिष्य का गुरु, दिनोंदिन कर देता उसका परिष्कार *हौले हौले आ जाता है उसके व्यक्तित्व में अदभुत सुधार* *गुरु का स्थान है गोविंद से भी ऊँचा है, गुरु, शिष्य के आदर और प्रेम का हकदार* *आज शिक्षक दिवस हमें सिखा रहा यही, शिष्य चित्त में आए न कभी अहंकार* *गुरु और सड़क हैं राही एक ही सफर के, बेशक खुद रहते हैं वहीं, पर शिष्य को आगे बढ़ने का बना देते हैं हकदार।। *असली मायने शिक्षक के सार्थक हो जाते हैं जब वो हमारे भीतर जिज्ञासा,जिजीविषा,कर्मठता,लक्ष्य निर्धारण और प्रेरणा के गुणों का कर देता है संचार* *मात्र अक्षर ज्ञान देने वाला ही शिक्षक नहीं होता, हो सकते हैं शिक्षक मात पिता,भाई बहन,मित्र,सहकर्मी और रिश्तेदार* *प्रलय और निर्माण* दोनों गोद में पलते हैं शिक्षक के, *सृजन और विध्वंस दोनों पर उसका अधिकार* *कच्ची माटी है शिष्य, शिक्षक कुम्हार दे सकता है मनचाहा आकार* *अथाह, अनंत,असीमित सागर सी संभावनाओ...