सबसे पहली,सबसे अच्छी,सबसे शुभचिंतक,बहुत ही खास शिक्षक होती है माँ। ज़िन्दगी का अनुभूतियों से परिचय कराने वाली,अहसासों को अभिव्यक्ति दिलाने वाली होती है माँ। हर क्यों,कैसे,कब,कहाँ का सहजता से उत्तर देने वाली होती है माँ। ज़िन्दगी की रेल की पटड़ी होती है माँ।। सबसे अच्छी मित्र,सलाहकार,मार्ग प्रदर्शक होती मां।। जमाने भर की थकान मां की गोद में आते ही उतर जाती है।। घर में घुसते ही मां का दिखाई देना बहुत ज़रूरी है।। संस्कारों की घुट्टी पिलाने वाली,चेहरे पर मुस्कान लाने वाली होती है माँ। हर घाव की पल भर में मरहम बन जाती है मां। जाने इतनी हिम्मत कैसे कहां से लाती है मां।। भीतर उठी हों चाहे कितनी भी सुनामी, ऊपर से शीतल सी फुहार बन जाती है मां। भूख लगे तो रोटी,प्यास लगे तो पानी बन जाती है मां।। जीवन के इस अग्निपथ को अपनी मेहनत से सहज पथ बनाती है मां। हमारे सपनों को हकीकत में बदलने के लिए जाने कितने ही सम झौतों पर तिलक लगाती है मां।। मां से बड़ा शिक्षक मुझे तो नज़र नही आता,महसूस भी नही होता,आप को?