Skip to main content

Posts

Showing posts with the label शोक नहीं

Poem on mother

दिन,महीने,साल यूँ ही बीतते जाएंगे माँ तुझ को कभी भुला न पाएंगे तेरी कर्मठता को माँ सच मे हो दिल से सलाम, तू दिनकर हम जुगुन है माँ,था कर्म ही तेरा तकिया कलाम, भावभीनी श्रद्धांजलि आज दे रहे हम माँ तुझे, वो अनमोल पल जो बिताए तेरे साये तले,अब कहाँ से लाएंगे, दिन महीने साल यूँ ही बीतते जाएंगे।। एक एक कर के बरस बीत गए पूरे चार एक बात सिखा गई मां तूं, प्रेम ही हर रिश्ते का आधार।। तूं जहां भी है वहां खुश रहे समझा गई तूं जीवन का सार।। ताउम्र ज़िक्र तेरे,यूं ही जेहन में आएंगे। शोक नहीं,संताप नहीं,हम बड़े गर्व से तेरी गाथा गाएंगे। कितनी कर्मठ थी वो मां हमारी,आने वाली पीढ़ियों को बतलाएंगे।।       स्नेह प्रेमचंद

Poem on mother by sneh premchand

शोक नही,संताप नहीं माँ, हम प्रेम से शीश झुकाएंगे। हमने पाया ऐसी माँ को, बड़े गर्व से सबको बताएंगे। युग आएंगे,युग जाएंगे, होते हैं जो ऐसे इंसा, उनको लोग भुला नही पाएंगे। व्यक्ति नहीं,बन जाते हैं विचार वे, उदहारण उनके हम देते जाएंगे। वह सागर,हम बूंद सही, अपने वजूद को तो गीला कर जाएंगे।। कतरा कतरा बनता है सागर, ज़र्रा ज़र्रा बनती है कायनात। मां से बढ़ कर ईश्वर ने नहीं दी, कोई भी इंसा को सौगात। ऐसी सोच का दरिया, घर घर में अब हम बहाएंगे। शोक नहीं,संताप नहीं हम बड़े प्रेम से शीश झुकाएंगे।। हमने पाया ऐसी मां को, बड़े गर्व से सबको बताएंगे।। कर्म के तबले पर, जिजीविषा की थाप है मां। मेहनत की हांडी में,  सफलता का साग है मां। सहजता के तवे पर, सुकून की रोटी है मां। वात्सल्य के सितार पर, मधुर सी धुन है मां। स्नेह के गुल्लक में, संतोष के सिक्के है मां। अनुराग की आंखों पर, सौहार्द का चश्मा है मां। कर्मठता के कानों में, विनम्रता की बाली है मां। घनिष्ठता की थाली में, अपनत्व की कटोरी है मां। सामंजस्य के फ्रीजर में उल्लास की बर्फ है मां। कर्म की सड़क पर, सफलता का पुल है मां। एहसासों के समन्दर में, सुरक...