दिन,महीने,साल यूँ ही बीतते जाएंगे माँ तुझ को कभी भुला न पाएंगे तेरी कर्मठता को माँ सच मे हो दिल से सलाम, तू दिनकर हम जुगुन है माँ,था कर्म ही तेरा तकिया कलाम, भावभीनी श्रद्धांजलि आज दे रहे हम माँ तुझे, वो अनमोल पल जो बिताए तेरे साये तले,अब कहाँ से लाएंगे, दिन महीने साल यूँ ही बीतते जाएंगे।। एक एक कर के बरस बीत गए पूरे चार एक बात सिखा गई मां तूं, प्रेम ही हर रिश्ते का आधार।। तूं जहां भी है वहां खुश रहे समझा गई तूं जीवन का सार।। ताउम्र ज़िक्र तेरे,यूं ही जेहन में आएंगे। शोक नहीं,संताप नहीं,हम बड़े गर्व से तेरी गाथा गाएंगे। कितनी कर्मठ थी वो मां हमारी,आने वाली पीढ़ियों को बतलाएंगे।। स्नेह प्रेमचंद