धन्य हैं कोख उन माओं की, जिन्होंने जण दिए चन्द्रशेखर,राजगुरु और भगतसिंह से वीर। आज बलिदान दिवस पर शत शत नमन उनको, आज़ादी के तरकश के थे, वे नायाब से तीर।। धन्य हुई धरा भारत की,जिसकी माटी में इन्होंने लिया जन्म। एक ही इनाम के व्यक्ति होते हैं हजारों, सच्चा परिचय पत्र होते हैं इंसा के कर्म।। कर्मों की ऐसी बजा गए बांसुरी, वतन की बदल गए तकदीर। धन्य है कोख उन मांओं की, जन दिए जिन्होंने ऐसे वीर।। व्यक्ति नहीं विचार हैं आप मात्र भाव नहीं,क्रांति हैं आप शब्द नहीं,वास्तव में भाव हैं आप ख्याल नहीं,शहादत हैं आप जब जब होगा जिक्र वीरता का, नाम आप तीनो का जेहन में आएगा। जो पुष्प अर्पित होगा आपको सच में वो धन्य हो जाएगा।। स्नेहप्रेमचन्द