AIIEA के स्थापना दिवस की प्लैटिनम जयंती वर्ष में प्रवेश करने की बहुत बधाई(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))
*संगठन में होती है शक्ति संगठन से सिद्ध होते हैं बड़े बड़े काम* *स्वाभिमान बना रहता है कायम सकारात्मक होते हैं परिणाम* *शत शत नमन और वंदन AIIEA के संस्थापक चंद्र शेखर बॉस जी को,समझा दिया एकता का विज्ञान* 5 उंगलियां इकट्ठा होने से मुट्ठी बन जाती है किसी चुनौती का सामना करने में फिर कोई दिक्कत नहीं आती है आत्मविश्वास का होता है इजाफा, कार्य क्षमता बढ़ जाती है सफलता देने लगती है दस्तक जिंदगी की चौखट पर, जिंदगी सहज सुंदर हो जाती है *संघर्षों से बिखरना नहीं निखरना है* यही AIIEA ने है सिखाया एकता के अंकुर का छोटा सा पौधा हुआ फलित अब एक विशाल वृक्ष में, सत्य सबको समझ में आया इसकी छाया तले ही तो हमने जाने क्या क्या है पाया हमारे सीनियर्स जो कर गए हमारे लिए,हैं उनके हम शुक्रगुजार एक और एक 11 नहीं 1111 होते हैं, करें इस सत्य को स्वीकार संगठन का पौधा हुआ आज बरस 74 का, परिपक्व,अनुभवी,ज्ञानी और समझदार हर निर्णय इसका वंदनीय और अनुकरणीय,दोहराते हैं हम बार बार बहुत दूर तक चला है संगठन बहुत दूर इसे और जाना है आज प्रवेश किया बरस 75 वें में,संगठन अब हुआ सयाना है *हमारी शक्ति ...