ये कौन गया है महफिल से?????? वतन ही नहीं,स्तब्ध है पूरा संसार। खामोश सी हो गई हैं स्वर लहरियां, सातों सुर,सरगम,संगीत भी हो गए हैं आज फीके बेजार।। लय,गति,ताल भी खोई खोई सी हैं आज,ऐसी गायिका का बहुत ऊंचा किरदार।। छोटी हो गई लेखनी आज दिग्गज गायिका के आगे,भावों के समक्ष अल्फाज गए हैं हार।। थम गया आज सुरों का काफिला, चल पड़ी स्वर कोकिला हरि के द्वार।। हानि धरा की,लाभ गगन का यही आता है नज़र,आपकी विदाई का सार। आज सच्चा कोहिनूर रुखसत हो गया बेशक जग से,पर जिक्र और जेहन में सदा रहेंगी शुमार।। *कभी नहीं मरा करते कलाकार* युगों युगों तक जीवंत रहते हैं अपनी कला से,रोएं रोएं में अस्तित्व रहता है उनका बरकरार।। जर्रे ज़र्रे में कला निखरती है निस दिन,बेशक नश्वर तन एक दिन छोड़ जाता है संसार।। स्नेह प्रेमचंद