योग प्राथमिक है जीवन में, सांसों की माला में सिमरें प्रभु का नाम। व्याधि विकार नष्ट हो जाएं सारे, योग आए अब जन-जन के काम।। योग में ही छिपा हुआ है आध्यात्मिक शक्ति का अक्षय भंडार। सीमित रहेगा गर क्षेत्र इसका, तो आध्यात्मिक चेतना का ना हो पाएगा प्रसार।। एकांगी स्वरूप से ना हो संतुष्ट इसके, संपूर्ण स्वरूप को करे योग सदा आत्मसात। आसन, प्राणायाम ही योग नहीं है, अष्टांग योग से आएगी नई प्रभात।। नहीं वर्ग विशेष की है ये धरोहर, धनी निर्धन सबका इस पर अधिकार। पहुंचा जन-जन तक पैगाम अनोखा, हुआ मानव को योग से सच्चा प्यार।। योग आयुर्वेद का हो जीवन में अधिकाधिक प्रचार-प्रसार। वैदिक संस्कृति की हो पुनर्स्थापना हो जीवन का सुदृढ़ आधार।। मानवता का हो संरक्षण, स्वास्थ्य का हो सही संवर्धन।। चले ना एक ही ढर्रे पर हम, लाएं जीवन में समुचित परिवर्तन।। प्राथमिकताएं तय करने में और ना करे अधिक विश्राम। योग प्राथमिक है जीवन में, सांसों की माला में सिमरें प्रभु का नाम।। प्राचीन परंपराओं को ना भूलें, रखे प्राकृत...