को--रोना को हराना है, रो--कथाम ज़रूरी है इसकी ना--निकलें हम घरों से, दरमियाँ फांसला बनाना है।। ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा, ये सच मे एक मधुर तराना है। लड़ना है इस वैश्विक महामारी से, हथियार संकल्प व संयम अपनाना है। कल खेल में हम हों न हों, पर सामाजिक दायित्व निभाना है। जान है तो जहान है, सबको ये समझाना है।। रही ज़िन्दगी तो मिलेंगे सबसे बाकी एक दिन तो जाना ही जाना है।। संकट की इस कठिन घड़ी में हो संगठित,जीत कर आना है।। स्नेहप्रेमचंद