सच लाडो क्या अब नहीं है तूं हमारे पास??? हो ही नहीं पाता विश्वास,हो ही nhin पाता विश्वास।। डोर बिन क्या अस्तित्व पतंग का, बिन पंखों के कैसे संभव उड़ान??? सच एक किसी के न होने से, पूरा ही अधूरा सा लगता है ये जहान।। तूं एक सचमुच बहुत खास थी सच में जीने की सच्ची आस थी तूं है नहीं,नहीं होता यकीन, चुटकी काट कर भी नहीं होता आभास।। सच में लाडो तूं है ही नहीं हमारे पास।। स्नेह प्रेमचंद