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Showing posts with the label सत्य

अनुशासन से अभिवृद्धि

सीखना है तो कोई सीखे श्री राम से

उपकार

अपने तो अपने होते हैं

असत्य पर सत्य की thought by sneh premchand

अधर्म पर धर्म की,          असत्य पर सत्य की, पाप पर पुण्य की,         अत्याचार पर सदाचार की, विध्वंस पर निर्माण की,          अराजकता पर स्वराज की, अहंकार पर प्रेम की,           संदेह पर विश्वास की, क्रोध पर दया की,           विघटन पर एकता की, शत्रुता पर मित्रता की,           कुकर्म पर सत्कर्म की, पलायन पर कर्तव्य की,           भरम पर विश्वास की, अज्ञान पर ज्ञान की,           रावण पर श्रीराम की, विजय के प्रतीक विजयदशमी का आओ करें स्वागत।

शांत thought on mother

मशक्कत thought by snehpremchand

बरसों एक ही आँगन में लगे पौधे को दूसरे आँगन में लगाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।अगर अच्छा गुलिस्तां मिल जाए तो पौधा चलने लगे जाता है,पर जब कुविकारों की दीमक लगी हो तो पौधा असमय ही मर जाता है।यही बात बेटियों के संदर्भ में भी सत्य है।।               स्नेहप्रेमचन्द

महाप्रलय। thought by snehpremchand

बेटी दुखी है,तो तूफान आता है, बहु दुखी है,तो सुनामी आती है, पर माँ बाप अपने ही घर मे दुखी हैं, तो महाप्रलय आती है।।                       स्नेहप्रेमचन्द