भूख अगर लगती है बच्चे को, तो माँ रोटी बन जाती है। प्यास लगे गर उसको तो, माँ नदिया बन जाती है। समस्या हो गर कोई उसे, मा समाधान बन जाती है। हर क्यों,कैसे,कब,कितने का पल भर में उत्तर बन जाती है। हमारी ज़िंदगी के कैनवास में, रंग ममता के भरती चली जाती है। कैसे जीना है ये जीवन, कथनी से नहीं,करनी से समझाती है। हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का हमें माँ ही तो बोध करवाती है।। शायद तभी ईश्वर की सर्वोत्तम कृति माँ कहलाती है।। स्नेहप्रेमचन्द