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*क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास* हमारा प्यार हिसार 16/03/2025(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

माना हर सफर को मंजिल नहीं मिलती पर मंजिल मिलती किसी ना किसी सफर को ही है, इसलिए ज़रूरी नहीं, बहुत जरूरी है करना प्रयास सोच,कर्म,परिणाम की ऐसी बह जाती है त्रिवेणी,सुपरिणाम चल कर आते हैं फिर हमारे पास *संकल्प दस्तक दे ही देता है  सिद्धि की चौखट पर* मुस्कुराने लगता है विकास स्वच्छ,सुंदर,प्रदूषण रहित  बने देश हमारा, इसी भाव का हो  चित में   सबके वास यहां संस्कारों को पढ़ाया नहीं करके दिखाया जाता है, *उच्चारण नहीं आचरण में होता है विश्वाश* बाल चित में रोपित हो जाते हैं संस्कार   स्वयं ही,  जैसे सुमन में  सहज रूप  से होती है सुवास 8 साल से 80 साल तक के  सदस्य हैं इस परिवार में, *हमारा प्यार हिसार*  खास नहीं,है, अति अति खास मूल में होता है *जनकल्याण*  जिस भी कर्म के,  उस सत्कर्म में सहायक हो जाते हैं घटक प्रकृति के भी, ऐसा अंदेशा नहीं,है,मेरा पूर्ण विश्वास मात्रात्मक नहीं गुणात्मक समय  बिताते हैं सब यहां, कर्म संग करते हैं हेल्दी हास परिहास यहां कर्म आनन्द है,बोझ नहीं, ऐसा हर सदस्य को होता है आभास कर्मानंद की ऐसी चलती है बयार, हर...