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बहुत अजीब

अरदास((श्रद्धांजलि स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कब *है *बदल जाता है *था* में, हो ही नहीं पाता अहसास। *किराए का घर *है ये जिंदगी, सच में सबके गिनती के श्वास।। करबद्ध हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास। मिले शांति दिव्य दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।। माटी मिल गई माटी में, आज हो गए पूरे उनके श्वास।। *एक अरदास* अब यही ईश्वर से, देना निज चरणों में अब उनको वास।। क्या लाए थे संग, क्या संग ले जाना है?????? इस सत्य का हो हमे आभास। बड़ा अजीब है ये सफर जिंदगी का, बिन समझे,बिन जाने भी आता है रास।। *कितना जीए* ये इतना महत्वपूर्ण नहीं, जितना *कैसे जीए *ये है खास। यही सच्चा *बैंक बैलेंस* है हमारा, बाकी सब झूठी हैं आस।। *मृत्यु अटल सत्य है जिंदगी का* पर जीते जी होता नहीं इसका आभास।। एक व्यक्ति ही नहीं जाता जग से, बहुत कुछ चला जाता है, रोता है वो होता है जिसका वो खास।।। करबद्ध हम कर रहे, परम पिता से यह अरदास। मिले शांति दिव्य दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।।          स्नेह प्रेमचंद

समझ नहीं आता