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सबके बस की बात नहीं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सुविचार,,,अधिकार सब चाहते हैं,ज़िम्मेदारी लेना सबके बस की बात नही,लेने की अपेक्षा करना बहुत आसान है,देना सब के बस की बात नही,मेहमान सब अच्छे बन सकते हैं,मेहमाननवाज़ी सबके बस की बात नही,कहने के बाद सब समझ लेते हैं,बिन कहे ही सब समझना सब के बस की बात नही,रो तो हर कोई लेता है,मुस्कुराना सब के बस की बात नही,उलाहना हर कोई दे देता है,कृतज्ञ होना सब के बस की बात नही,अकेले तो सब चल लेते हैं,सब को साथ ले कर चलना सब के बस की बात नही,वाहवाही तो सब चाहते हैं,पर चुपचाप अच्छे कर्म करना सब के बस की बात नही,आप जो क्या लगता है