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राम

यही समझ में आता है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कई बार

सबसे ऊपर देश है

अंधे को दीया दिखाना

शब्द

पीड़ा

कहना या समझ

लिपि,भाव,अभिव्यक्ति। Thought by Sneh premchand

प्रेम तो वो शास्त्र है जिसकी लिपि,भाव,अभिव्यक्ति सबको सर्वत्र समझ में आते हैं।।        स्नेह प्रेमचंद

एक जगह thought by sneh premchand

ममता ,करुणा,धैर्य,स्नेह, मेहनत,समर्पण,त्याग और अनुराग,एक दिन आठों चले स्वर्ग से,सोचा जाएं किसके पास,घूम घूम कर जग सारा,बस एक ही बात समझ आयी,रह सकते हैं हम सारे इकठ्ठे माँ  हृदय में,पक्की जगह उन्होंने वहीं बनाई,तब से युग पर युग बीत गए,पर नही बदलते वे अपना बसेरा,पूर्ण रूप से वहां खुश और संतुष्ट है सब,जमा लिया है अपना डेरा,यह सत्य है।।

बिन कहे

Good thought by sneh dhawan

सुविचार,,,,,,यदि हमारे सम्बंधी ,मित्र अधर्म और अनीति की राह पर चल पडें,सम झाने पर भी न समझे,अपनी गलती का अहसास न करें,पापाचार जारी रखे,तो उनका त्याग कर देना ही सही है,अधर्म और अनीति पर चलने वाले रावण को जब विभीषण समझाने का प्रयास करता है, तो रावण उसको लंका से निकाल देता है,इस समय विभिषणधर्म  और सत्य की राह पर चलने वाले राम की शरण में चला जाता है भले ही राम उसके भाई का शत्रु होता है विभीषण अपने उस सगे भाई को त्याग कर रघु नंदन राम की शरण आ जाता है,कांटा पाँव में चुभे,तो निकलना ही सही है,आप को क्या  लगता है?

ज़रूरी

ज़रूरी नहीं जो हमे सही लगता है वो दूसरे को भी सही लगे,वहाँ समझाओ जहाँ समझने की गुंजाइश हो।

ज़रूरी

ज़रूरी नहीं जो हमे सही लगता है वो दूसरे को भी सही लगे,वहाँ समझाओ जहाँ समझने की गुंजाइश हो।

भाषा thought by sneh premchand

जिस भाषा में हम सोचते हैं यदि उस भाषा को हम लिख नही सकते,समझ नही सकते  वो तो ऐसे हो गया जैसे  पाँव तो हों,पर हम चल न सके।।            स्नेह प्रेमचंद

वेद नही वेदना thought by snehpremchand

वेद न पढ़ो,कोई बात नहीं, पर ज़िन्दगी के क्लासरूम में  किसी की वेदना उसका चेहरा देख कर ही समझ आ जानी चाहिए।।            स्नेह प्रेमचंद