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सेवा संग मुस्कान,यही हमारी पहचान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*सेवा संग मुस्कान यही निगन की पहचान* *समाधान हेतु आगमन संतुष्टि सहित प्रस्थान* *आए जब भी प्रांगण में  ग्राहक हमारे, मिले उसे उसकी समस्या का समाधान* *देकर त्वरित और त्रुटिरहित सेवा उसे भरोसे,विश्वाश आश्वाशन का पाएं इनाम* *ग्राहक है तो है संस्था हमारी महान* *वो नहीं हम निर्भर हैं उस पर इस सत्य से ना रहें अनजान* *ग्राहक ही है सर्वोपरि  दें जीवन में उसे यथोचित स्थान* *समाधान हेतु आगमन, संतुष्टि सहित प्रस्थान* *सरल सहज आत्मीय वार्तालाप हो संग ग्राहक के, उसकी जरूरतों से न रहें अनजान* *जिस काम के लिए आए वो प्रांगण में हमारे, सिद्धि का उसे मिले प्रावधान* *समाधान हेतु आगमन,संतुष्टि सहित प्रस्थान* *नई चुनौतियां,नए संकल्प हैं आज के समय में समक्ष हमारे* *छीन ना ले कोई हमारे ग्राहक को, आए बार बार वो हमारे द्वारे* *इसी संकल्प को धार कर हम, हर चुनौती को करें आसान* *सेवा संग मुस्कान यही निगम की सच्ची पहचान* *समाधान हेतु आगमन संतुष्टि सहित प्रस्थान*

सेवा संग मुस्कान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*सेवा संग मुस्कान* यही निगम की सच्ची पहचान सुरक्षा,संरक्षा और समृद्धि इन्हीं भावों का निगम ने पहना परिधान।। नवीनीकरण द्वारा परिवर्तनकारी दृष्टिकोण अपना कर,  किया सदा ही जनकल्याण। अहम से वयम का बजा शंखनाद, हुए हकीकत में हम धनवान।। विश्वाश पिता,सुरक्षा माता समृद्धि बहन और आश्वाशन है जिसका सगा भाई। कोई और नहीं वो है संस्था हमारी, आज उसके 66 वें जन्मदिन पर सबको बधाई,सबको बधाई।। बधाई की इस शहनाई से आह्लादित सा मन,प्रफुल्लित सा तन पड़ता है जान। सेवा संग मुस्कान यही निगम की सच्ची पहचान।। *ग्राहक ही है सर्वोपरि* संतुष्ट ग्राहक निगम की जान। सौ बात की एक बात है **समाधान हेतु आगमन, संतुष्टि सहित प्रस्थान** हर दुविधा के समाधान की मिले उसे सुविधा, ग्राहक तो हमारे प्रांगण में ही भगवान।। सेवा संग मुस्कान यही एल आई सी की सच्ची पहचान।। बरस 66 का हुआ परिपक्व निगम अब,वंदनीय है इसकी आन,बान और शान।। बदल रहा है परिवेश, बदल रहा है कार्य प्रणाली का जहान।। हर शिक्षण और प्रशिक्षण से हों अपडेट हम, खुशी खुशी बढ़ाएं अपना ज्ञान।।