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Showing posts with the label सहजता और बेचैनी भाग 1

सहजता और बेचैनी poem by sneh premchand

किसी मोड़ पर मिली जब दोनों, फूटे इनके कुछ यूं उदगार। दोनों के स्वरूप में ज़मीं आसमा का अंतर, कर लिया दोनों ने दिल से स्वीकार।। बेचैनी ने होकर बेचैन, किया सहजता से कुछ ऐसा सवाल। सुन उत्तर मिला चैन बेचैनी को, पर हिवड़े में मच गया बवाल।। कैसे हो इतनी सहज और सुंदर तुम, क्यों कभी उद्वेलित तुम नही होती। सुख दुख दोनों में ही नही डोलती तुम, कभी भी आपा नही खोती।। सुन प्रश्न बेचैनी का, सहजता सहज भाव से कुछ यूं बोली। मैं क्योंकर ऐसी हूँ बहना, इस राज की सारी परतें खोली।। *चैन* मेरे पिता है बहना  और *सन्तोष* है मेरी प्यारी सी माता। *सुकून* है मेरा छोटा भाई, *विनम्रता* से बहना का नाता।। *सब्र* हैं मेरे प्यारे *प्रीतम*  निस दिन रंग उनका मुझ पर चढ़ जाता है। *कर्तव्य* हैं पितामह हमारे, *चैन* कर्तव्य का तात और सुत का नाता है।। ऐसे घर मे जन्म लिया मैंने, और पाए सारे सुसंस्कार। परवरिश,परिवेश और प्रतिबद्धता ने ही,  मेरी समझ को दिया आकार।। भौतिकता की आँधी कभी भी  मुझे विचलित नहीं कर पाती। अंधाधुंध प्रतिस्पर्धा की ज्वाला भी, नहीं मेरा हिवड़ा कभी जलाती।। ईर्ष्या,लोभ,कुंठा,अवसाद को, कभी पनपने नही...