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नव किसलय thought by snehpremchand

नव किसलय से नव जीवन तक प्रकृति ने हैं पाँव पसारे।।

उजियारे

हम सबके जीवन मे बनकर माँ तूने सूरज,हर लिए तमस, ला दिए उजियारे। वही मेरी माँ मिले मुझे हर जन्म में, माँगती हूँ यही दुआ मैं साँझ सकारे।।