इस अस्थाई सी ज़िन्दगी में,अस्थाई सांसों की डोर लिए हम स्थाई रूप से इस जग में रहने की सोचते हैं। क्षणभंगुर से इस जीवन मे सबकुछ क्षणिक है जानते हुए भी मन मे अहंकार , ईर्ष्या , काम , मद , मोह जाने कितने ही विकारों को पालते रहते हैं।क्यों??? स्नेहप्रेमचंद