Poem on moon by sneh premchand July 17, 2020 इंदु ज्योत्सना हुई प्रतिबिंबित जब जलधारा पर मंजर हो आया नयनाभिराम। जाने कितनी धुंधली यादों को तरोताजा कर देती है शाम।। स्नेह प्रेमचंद Read more