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समावेश

Poem on moon by sneh premchand

इंदु ज्योत्सना हुई प्रतिबिंबित जब जलधारा पर मंजर हो आया नयनाभिराम।  जाने कितनी धुंधली यादों को तरोताजा कर देती है शाम।।     स्नेह प्रेमचंद