यूं ही तो नहीं कहते पिता को बरगद सा साया।। अग्निपथ से इस जीवन में,पिता ही तो शीतलता है लाया।। पिता प्रेम है,पिता सुरक्षा है,पिता आस विश्वास है। यूं ही तो नहीं कहते जीवन में,होता पिता बहुत ही खास है।। एक पिता के होने से लगता है,है कोई अपना सरमाया। अग्निपथ से इस जीवन में,पिता ही तो शीतलता है लाया।। पंखों का परवाज़ पिता है,सपनों का अहसास पिता है। हमारे जन्म से अपनी मृत्यु तक हर हाल में साथ देता पिता है।। स्नेह प्रेमचंद