जाने अनजाने न जाने, तूँ क्या क्या सिखा गई जननी। तूँ ही मेरी पहली शिक्षक है, जाने हर दिन,जाने हर रजनी।। कर्म से बदला जा सकता है भाग्य येे तूं कर कर्म सिखा गई। हो लक्ष्य निर्धारित गर मन में, सब मिल सकता है, बता गई।। अधिकार संग मिलती हैं ज़िम्मेदारी भी, जेहन में हमारे बसा गई।।