सहरा July 06, 2020 मैं हरी दूब सी खिली रही तुम सहरा से तपते ही रहे। तुम तो हमनफ़स़ थे मेरे, फिर भी सितम तुम्हारे सहे। । स्नेह प्रेमचंद Read more