आज की शक्ति हो नारी सुंदर मन और सुंदर विचार* *ज्ञान की देवी,रूप का सागर पल्लवित करती तुम्हीं संस्कार* *जीवन की सच्ची पाठशाला हो तुम , सपनों को देती हो आकार* जाने कितनी ही बार जीवन में करती हो दरगुजर,करती हो दरकिनार सुख शांति का समावेश हो जीवन में,यही सोचना रहता है आधार भिन्न परिवेश भिन्न परवरिश फिर भी सामंजस्य संतुलन रहता बरकरार *माटी का ढेला तुम नारी हर रूप में ढलना तुम्हें आता है* *मां,बेटी,बहु,बहन पत्नी खूबसूरत सा हर नाता है* *कोमल हो कमज़ोर नहीं* हो तुम सच्ची सलाहकार *उच्चारण नहीं आचरण में लाती हो कथनी करनी सब एकाकार* *आज की शक्ति हो नारी सुंदर तन मन,सुंदर विचार* *परिवार,समाज और देश संभालना तुम्हें बखूबी आता है* *मान तुम्हारी शक्ति का लोहा, जग भी शीश नवाता है* *नारी शक्ति के ये अथक प्रयास हैं जो चंद्रयान मंगल ग्रह पर तिरंगा फहराता है* *सागर से भी गहरी हो तुम नारी शक्ति तुम्हारी अनंत अपार* *आज की शक्ति हो नारी सुंदर तन मन,सुंदर विचार* *स्वर्णमयी सी चेहरे पर आभा लबों पर सदा मधुर मुस्कान* *कैसी भी चाहे आए मुश्किल निकाल ही लेती हो समाधान* *तुम बिन विश्व की कल्पन...