गुलाबी शाम March 01, 2020 हर शाम गुलाबी लगती है लगे प्रकृति ने सुरमई छटा हो बिखेरी सबकी साँझी है प्रकृति भेदभाव से दूर,न तेरी न मेरी।। स्नेहप्रेमचंद Read more