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Showing posts with the label सोच

जय श्री राम

त्रिवेणी

संबल

बहुत ज़रूरी है अच्छी सोच

Suvichar.....achhi soch bahut zruri h.soch se karm,karm se prinaam nirdharit hote hein.aatmvishletion bahut zruri h.Ham Jo kr rhe hein,kya WO tik h,shi galat ka aanklan kerna aana chahiye.soch ke pita sanskaar hein or ma perverish h.kya perverish soch ko shi Sikha paayi,kya sanskaar ne Jo soch ko diya WO USS ne gerhan kiya?dil or vivek ka samanjhasay bahut zruri h.dil ki beti samvedanshilta h,khin WO so to nhi gyi?jgana zruri h,shi samay per shi soch utni hi zruri h jitna zruri suraj me tej ka hona h,perkerti me beej ka bona h,shanubhuti bhi to samvedanshilta ki Behan h,WO bhi  Jane khan kho gyi? Aap sehmat hein kya?

संवेदनहीनता पाप है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

त्रिवेणी

क्या चाहते हैं हम

सुन ज़रा

Poem on mother by sneh premchand

माँ के बारे में कोई कैसे न सोचें, इस सोच को भी नही सोचा जाता। हमे इस दुनिया मे लाने वाली से, सबसे गहरा होता है नाता। मात पिता के ऋण से हम  कभी उऋण नही हो पाएंगे। यूँ ही चलती रहेगी दुनिया, युग आएंगे ,युग जाएंगे।। हैं जो सच्ची आत्मा हैं जग में, वो मात पिता को कभी भुला न पाएंगे।। युग आएंगे,युग जाएंगे, कपाल के भाल पर हम जाने क्या क्या अंकित कर जाएंगे।।        स्नेह प्रेम चन्द

ज्योत

कर्म के आटे पर मेहनत की लोच है माँ। निस्वार्थ की सतत जलती रहने वाली ज्योत है माँ।। इतना तो पता है मुझे,जग में सबसे सुंदर सोच है मां।।                     Snehpremchand

शब्द

हम क्या बोलते हैं,काफी हद तक,  हमारे व्यक्तित्व के बारे में बता जाता है। जो सोचते हैं वही तो बोलते हैं, सोच को शब्दों का आईना दिखा जाता है।।