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काश समय रुक जाता (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 समय रुक जाता,हम तुम कभी बड़े न होते,जो होता मन में कह देते,मन होता तो हँसते,मन होता तो रोते, लड़ते,झगड़ते,पर फिर एक हो जाते,सहजता से न अपना दामन चुराते,दिलों की दहलीज पर हमको दस्तक बखूबी देना आता,सांझे सुख दुख हो जाते,साथ सदा एक दूजे का भाता,एक दूजे बिन जीना हमको काश कभी न सुहाता,औपचारिकताओं का सैलाब फिर दूरियों की सुनामी न लाता,कच्चे धागे की पक्की डोर का बड़ा पावन है भाई बहन का नाता

काश समय रुक जाता (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 समय रुक जाता,हम तुम कभी बड़े न होते,जो होता मन में कह देते,मन होता तो हँसते,मन होता तो रोते, लड़ते,झगड़ते,पर फिर एक हो जाते,सहजता से न अपना दामन चुराते,दिलों की दहलीज पर हमको दस्तक बखूबी देना आता,सांझे सुख दुख हो जाते,साथ सदा एक दूजे का भाता,एक दूजे बिन जीना हमको काश कभी न सुहाता,औपचारिकताओं का सैलाब फिर दूरियों की सुनामी न लाता,कच्चे धागे की पक्की डोर का बड़ा पावन है भाई बहन का नाता

काश समय रुक जाता

काश समय रुक जाता

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