*शिक्षा संग बहुत ज़रूरी हैं संस्कार सब होते हैं भीतर से गुणों की खान* *जीती जागती पाठशाला है इसकी *हमारा प्यार हिसार* जरा दो दस्तक उसकी चौखट पर मेजबान* *बच्चे प्रौढ़ और जवान* अनुकरणीय हैं सबके कदमों के निशान मातृभूमि से प्रेम है इनको, *अहम से वयम के हैं ये कद्रदान* एक स्पार्क है इनके चित में, जिसका सुलगना रहता है जारी फिर आलस्य नजरें लगता है चुराने, *मुस्कुराने लगती है जिम्मेदारी* *सहर्ष ओढ़ दुशाला जिम्मेदारी का बन जाते हैं सही मायनों में धनवान* *देव और दानव दोनों ही हैं भीतर हमारे किसको जगाते किसको सुलाते, हमारा चयन ही होता है बलवान* *सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी यहां निर्बाध गति से बहती है* *स्वच्छता,जागरूकता,जिजीविषा, कर्मठता,सुंदरता पांचों बहने संग संग यहां रहती हैं* *संयम,सम्मान,सौहार्द,अनुराग हैं इनके भाई,यह मैं ही नहीं,पूरे हिसार की जनता कहती है* *धन्य हैं सदस्य इस परिवार के धन्य यहां के बागबान* *भीड़ से हट कर आता है इन्हें चलना किसी समस्या से ये नहीं अनजान* *ख्वाब बन जाते हैं हकीकत ऐसे लोगों के,बहुत ऊंची होती है इनकी उड़ान* *स्वच्छ धरा हो, स्वच्छ हो अंबर इसी सोच का छ...