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Showing posts with the label हमारा प्यार हिसार

ये रंगरेज हमारे

गगन से ऊंचे इनके विचार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कितना प्यारा ये परिवार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा,))

प्यार भरा प्यारा परिवार

चले आते हैं हर इतवार

तुम भी आओ हम भी आएं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*जहां चेतना कर्मों से करती है श्रृंगार* *जहां जिजीविषा से आलिंगनबद्ध होते हैं सुविचार* *जहां संकल्प करता है वरण सिद्धि का बार बार* *जहां प्रतिबद्धता और प्रयास रहते हैं एक ही छत तले सपरिवार* *जहां खुशी बन जाती है उत्सव एक नहीं हर बार* *जहां मन में किसी के नहीं पनपते कभी विकार* *जहां जिम्मेदारी संग मुस्कुराते हैं अधिकार* *एक ही तो है वह स्थान हमारा प्यार हिसार परिवार*

सार्थक रविवार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

हर रविवार (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कितना प्यारा

अच्छा लगता है हर बार

कितना प्यारा परिवार

स्वेच्छा से दौड़े आते है हर बार

*स्वेच्छा से दौड़े आते हैं हर बार* *ना ही किसी औपचारिकता, न किसी निमंत्रण की होती इन्हें दरकार* *स्वच्छता बहन है भाई सौंदर्य की, मां जागरूकता,पिता सौहार्द ऐसा परिवार* *संकल्प का मिलन करवाने सिद्धि से   रहते हैं ये बेकरार* *इनके सफर को मिल ही जाती है मंजिल हर बार* *कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, ऐसी सोच लिए देश के हैं ये कर्णधार* *क्या करते हैं हम अपनी माटी के लिए, बन जाते हैं उदाहरण ये हर बार* *ईश्वर ने रचा है हम को, हम भी कुछ रचने का निभाएं किरदार* *क्यों सो जाती है जिम्मेदारी?? और जागृत हो जाते हैं अधिकार* *कर्तव्य कर्मों से ना भागें हम, बन सकते हैं हम अपने शहर के शिल्पकार* *आप भी आओ,हम भी आएं कर लें सार्थक अपना इतवार*

चलो ना फिर से चलते हैं इस बार

चलो ना फिर से चलते हैं इस बार कहीं और क्यों?? *हमारा प्यार हिसार*

मानो चाहे या ना मानो(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*शिक्षा संग बहुत ज़रूरी हैं संस्कार सब होते हैं भीतर से गुणों की खान* *जीती जागती पाठशाला है इसकी *हमारा प्यार हिसार* जरा दो दस्तक उसकी चौखट पर मेजबान* *बच्चे प्रौढ़ और जवान* अनुकरणीय हैं सबके कदमों के निशान मातृभूमि से प्रेम है इनको, *अहम से वयम के हैं ये कद्रदान* एक स्पार्क है इनके चित में, जिसका सुलगना रहता है जारी फिर आलस्य नजरें लगता है चुराने, *मुस्कुराने लगती है जिम्मेदारी* *सहर्ष ओढ़ दुशाला जिम्मेदारी का बन जाते हैं सही मायनों में धनवान* *देव और दानव दोनों ही हैं भीतर हमारे किसको जगाते किसको सुलाते, हमारा चयन ही होता है बलवान* *सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी यहां निर्बाध गति से बहती है* *स्वच्छता,जागरूकता,जिजीविषा, कर्मठता,सुंदरता पांचों बहने संग संग यहां रहती हैं* *संयम,सम्मान,सौहार्द,अनुराग हैं इनके भाई,यह मैं ही नहीं,पूरे हिसार की जनता कहती है* *धन्य हैं सदस्य इस परिवार के धन्य यहां के बागबान* *भीड़ से हट कर आता है इन्हें चलना किसी समस्या से ये नहीं अनजान* *ख्वाब बन जाते हैं हकीकत ऐसे लोगों के,बहुत ऊंची होती है इनकी उड़ान* *स्वच्छ धरा हो, स्वच्छ हो अंबर इसी सोच का छ...

समाधान हेतु आगमन,संतुष्टि सहित प्रस्थान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

* समाधान हेतु  आगमन संतुष्टि सहित प्रस्थान* *हमारा प्यार हिसार परिवार* की यही सच्ची पहचान* *मुस्कान ही है जिनका परिधान* *हर समस्या का खोज लेते समाधान* सौ बात की एक बात है मूल में इसके जनकल्याण  कोई और नहीं हैं, ये कर्मठ,हमारा प्यार हिसार के बाशिंदे,  *कर्मानंद ही है जिनकी पहचान* *चले आते हैं भोर में ही, करने सार्थक अपना इतवार* *ऐसे मांझी हैं ये मतवाले* *बखूबी थामे हैं अपनी पतवार* *न दिन देखते हैं न रात देखते हैं* जोश,जज्बे,जुनून का मिला इन्हे वरदान।। *कुछ  रोक नहीं सकता इन्हें, चाहे आंधी हो या तूफान* मातृ भूमि का ऋण चुकाने, गंतव्य  हेतु करते प्रस्थान *सच मुस्कान ही है इनका परिधान* *सार्थक हो जाती है मेरी लेखनी,  जब चलती है  इन पर  सतत,अविलंब अविराम* *समूह नहीं परिवार है ये* *सब कर्मठता का करते हैं आह्वान* *समाधान हेतु आगमन, संतुष्टि सहित प्रस्थान* *मूल में जनकल्याण है इनकी सोच में* *अदभुत हैं सदस्य सारे, विलक्षण है इनका बागबान* *आप भी आओ हम भी आएं, लक्ष्य है एक ही,हो सुंदर जहान* *आने वाली पीढ़ियों के लिए  विरासत होगी यही सच्ची, * मैं भी जानूं...

जहां वास हो सत्कर्म का

फिर एक बार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

*आ जाते हैं दौड़े दौड़े हर बार* *ऐसे ये रंगरेज अनोखे* *करने सार्थक अपना इतवार* *बदरंग दीवारों पर रंग खिला कर हिसार को कर देते हैं गुलज़ार* *आप भी आओ,हम भी आएं किस बात का है इंतजार????

जिंदगी जहां खुल कर मुस्कुराती है

तारों में है जो दिनकर सा(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सार्थक