60 बसंत देखे तूने, तूं जीवन का शतक लगाना शेष जीवन भी हो अति विशेष तेरा इन्हीं दुआओं का दिल गा रहा तराना जीवन में सबसे लंबा साथ भाई बहन ही निभाते हैं इस सत्य को भूल ना जाना हर धूप छांव में होते वे संग हैं चाहे साथ हो या ना हो ये ज़माना घर आंगन चौका दहलीज द्वार सब खुल कर मुस्कुराते हैं जब भी ये भाई बहनों की चौखट पर आते हैं मात पिता के अक्स एक दूजे में नजर आते हैं लगता है जैसे अतीत के झोले में से कुछ लम्हे चुराते हैं