राम चरित मानस में हमें चरित्र राम का यही सिखाता है चरित्र सही हो गर व्यक्ति का, अति शक्तिशाली भी आगे झुक जाता है प्रकांड पंडित रावण भले ही हर क्षेत्र में माहिर था पर चरित्र पतन उसका उसे गर्त में ले जाता है राम ने जानी सदा मर्यादा और प्रतिबद्धता,युगों युगों के बाद भी नाम जन जन की जुबां पर आता है मानों चाहे ना मानों चयन हमारा हमारी किस्मत बन जाता है जो चुनते हैं वही मिलता है वक्त यही हमें सिखाता है गलत का साथ देने वाला भी बन जाता है गलत,कुंभकर्ण और कर्ण का उदाहरण यही समझाता है सही का साथ देने वाला तर जाता है भव से विभीषण और शबरी के बारे में सोच सच ये समझ में आता है भीष्म मौन रहे नारी अस्मिता घायल होती रही,शर शैया पर उनका तड़फना यही समझाता है सही समय पर सही प्रतिक्रिया भी है ज़रूरी,कई बार मौन अभिशाप बन जाता है जटायु जानते थे रावण के सामने नहीं हैं शक्ति इतनी उनकी फिर भी सीता हरण के वक्त रावण से भिड़ना उनका शौर्य दिखाता है असंख्य उदाहरण हैं इतिहास में फिर भी हमें समझ क्यों नहीं आता है मानों चाहे या ना मानों चयन हमारा हमारी किस्मत बन जाता है *बोए पेड़ बबूल का तो आम कह...