साँझ होते ही माँ की याद आ जाती है,हर रिश्ते में हैं शिकवे शिकायत,माँ की हर बात दिल को भाती है,निश्छल नदिया के नीर सी माँ सतत प्रेमधारा बहाती है,माँ ही है एक ऐसा रिश्ता,जो हर हाल में गले लगाती हैसाँझ होते ही माँ की याद आ जाती है,नही माँ कोई तुझ से बन पाया तेरे जग से जाने के बाद,जब तक सांस रहेंगे तन में,तब तक तुझ को करूँगी याद