स्पर्श है माँ,स्पंदन है माँ,हरकत है माँ,हर हलचल है माँ,उत्सव है माँ,रीत है माँ,रिवाज़ है माँ,गीत है माँ,संगीत है माँ,सबसे सुंदर अहसास है माँ,माँ एक ऐसी गंगा है जो बच्चों की समस्त गलतियों को नज़रंदाज़ करती हुई अपने आँचल में समाहित कर लेती है,अपनी ममता के सागर से उन्हें आकंठ तृप्त कर देती है,माँ आस है,विश्वास है,और अधिक नही कहना आता ,माँ सब से खास है