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तीज 7/8/2024

प्रकृति(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

ऐसा था पापा का न होना

वृक्ष की डाली

किसी बागबान के चमन की डाली

खुशहाली

ज़रूरी है

हरियाली

Poem on nature by sneh premchand

बारिश के बाद प्रकृति की हरियाली ऐसी लगती है जैसे किसी फ़रिश्ते ने धूलि धूसर गात वाले बच्चे का मुंह अच्छे से धो दिया हो।।           स्नेह प्रेमचंद