प्रतिशोध की बजाय ह्रदय परिवर्तन ज़्यादा बेहतर विकल्प है।पांचाली के प्रतिशोध का परिणाम महाभारत का विनाशकारी युद्ध था।जैसे हिंसा से अहिंसा बेहतर है ऐसे ही प्रतिशोध से क्षमा बेहतर है।प्रतिशोध किसी भी नकारात्मक क्रिया के प्रति नकारात्मक ही प्रतिक्रिया है।कभी कभी ये शांति,सुकून,संतोष न देकर मात्र पछतावा ही देता है।महाभारत युद्ध मे बेशक धर्म की अधर्म पर,सत्य की असत्य पर विजय हुई हो,पर दोनों ओर से जाने कितने ही निर्दोष मारे गए।कर्ण और अभिमन्यु जैसे महान योद्धा छल से मारे गए।यह सब अति विचारणीय है।। स्नेहप्रेमचंद