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सात रंग इंद्र धनुष के

इंद्रधनुष के सात रंग है माँ रंगोली के सुंदर रंग है माँ तरुवर की शीतल छैया है माँ हलधर का इकलौता हल है माँ बरखा की बूंदें है माँ सूरज की किरणें  है माँ चाँद की शीतलता है माँ तारों की चमक है माँ मुरलीधर की मुरली है माँ आठ सिद्धि नौ निधि है माँ दिल की धडकन है माँ संगीत की सरगम है माँ आँख का नूर है माँ किताब के हर्फ़ है माँ कूलर का पानी है माँ फ्रीज़ की बर्फ है माँ कृष्ण की गीता है माँ रामायण की सीता है माँ प्रकृति की हरियाली है माँ जीवन मे सबसे निराली है माँ पंछी के पंख है माँ मन्दिर का शंख है माँ गिरिजाघर की बाइबल है माँ मस्जिद की कुरान है माँ गुरुद्वारे का ग्रंथ है माँ मन्दिर का पुजारी है माँ माला का मोती है माँ दीप की ज्योति है माँ चमन का सुमन है माँ महफ़िल की रौनक है माँ सहजता का पर्याय है माँ सबसे सुंदर राय है माँ

सर्वोटम कृति

सबसे पहला शिक्षक

शिक्षक दिवस विशेषांक,,,,,सबसे पहला शिक्षक जीवन में माँ होती है,माँ ऐसा शिक्षक है जो हम से जुड़ने के बाद ताउम्र नाता नही तोड़ता,माँ ज़िन्दगी के पाठ अनुभवों की स्याहीसे मानसपटल में अंकित करा देती है,माँ सारी शिक्षा बिना फीस के कराती है,लेती नही देती रहती है,पर इसे विडंबना कहे या दुर्भाग्य हम इन पाठों को देखते तक नही,माँ तो पूरा जोर लगा देती है,ताउम्र सिखाने वाली माँ को हम गुरुदक्षिणा में क्या देते है,विचार कीजिये।।जिंदगी के एक मोड़ पर तो हम बात करने से भी बचते हैं। उसे मात्र हमारे कुछ लम्हे और मधुर से बोल ही चाहिए और कुछ नहीं,कुछ भी तो नहीं।।   स्नेह प्रेमचंद

किताब ऐसी

माँ एक ऐसी किताब है, जिसका हर पन्ना आसानी से  समझ आ जाता है। माँ ऐसी कविता है, जो सब गा सकते हैं। माँ ऐसी कहानी है, जो रोचक ,ममतापूर्ण और पूर्ण है। माँ एक ऐसा पाठ है, जो ज़िन्दगी की  पाठशाला में सबसे पहले पढते हैं, और ताउम्र चलता है। माँ ऐसा साहित्य है, जिसके आदित्य की रोशनी से सारा जग नहाया है। जिसे पूरा संसार पढ़ता है, जो हर युग,हर काल मे प्रासंगिक है। यह साहित्य समयातीत है।