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सिंदूरी साख

कोई भी रिश्ता अचानक नहीं मरता,(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)(

*जब संवाद खत्म हो जाता है फिर संबंध पड़ा सुस्ताता है* *नहीं मरता कोई रिश्ता अचानक हौले हौले दरक सा जाता है* दोनों ही ओर से जब होती नहीं कोशिश, फिर वो जमींदोज हो जाता है।।

तुम हो जवाब गर मैं हूं सवाल

हौले हौले बड़े प्रेम से  *लम्हा लम्हा बीत गए  कैसे 25 साल* जिंदगी का सफर  हो जाता है आसान, गर मिल जाए कोई  तुम सा  पुर्सान ए हाल।। *मंजिल से प्यारा हो  जाता है सफर* गर हो हमसफर  तुम सा कमाल। राहें आसान हो गई  मेरी जिंदगी की, तुम्हें पाकर सच में,  मैं हो गई निहाल।। आगे का सफर भी हो  तुझ संग ही पूरा, तुम हो *जवाब*  गर मैं हूं सवाल।।               सुमन प्रेमचंद

धीरे धीरे

जब सांझ घणी लगती है गहराने

नजरें मिली जब((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

भीष्म मौन

ख़ामोश

एक ही नाम