नही बनना मुझे कोई देवदासी जहाँ।मेरा दामन कुचला जाता हो, जाने कितने ही अनकहे अहसासों को क्रूरता से मसला जाता हो, नही आते अब कोई माधव किसी पांचाली के लिए,जहाँ कोई बेबसी सिसकी का नाद सुनाता हो।।
नही बनना मुझे यशोदा गौतम की, जो भरी रात में सोया छोड़ मां बेटे को, सत्य की खोज में जाता हो। पल भर भी नहो सोच हमारा तोड़ा झट से,चाहे कितना ही गहरा नाता हो।।