श्रृंगार। thought by snehpremchand April 23, 2020 भावों की दुल्हन को जब अल्फ़ाज़ों का दूल्हा अपनी जीवनसंगिनी कर लेता है स्वीकार, अनेकों कल्पनाएं आ जाती हैं दौड़ी अभिव्यक्ति का करने श्रृंगार। अनुभव तो पहले से ही होता है खड़ा उनके द्वार।। स्नेहप्रेमचंद Read more