एक दिन दीप ने कहा बाती से,संग मेरे रहती हो हमेशा,अपना अस्तित्व मुझ में ही विलय कर लिया सारा,क्या अलग नही कोई पहचान तुम्हारी,क्यों मुझ बिन तुम्हे सब लगता है खारा, मन्द मन्द मुस्काई बाती ,फिर बड़े प्रेम से कुछ ऐसा बोली,संग आपके रह कर तो मुझे निस दिन जलना भी है मंजूर, एक बात बस जानती हूँ साकी, रह नही सकती में आप से दूर,आप हो तो हूँ मैं,आप ही हो मेरा सच्चा श्रृंगार,करती थी,करती हूँ,करती रहूंगी आप से सच्चा प्यार