रँगे धरा गगन,मन हुआ मग्न जब आया होली का त्यौहार। सौहार्द और समरसता का प्रतीक, प्रेम प्रीत का ये सरोबार।। कोई भेद नही कोई भाव नही, सबको एक दौर से बांधने वाला, पर्व है ये सबसे निराला।। इंद्रधनुषी रंगों से रंग जाता मन का हर कोना,पर्व है ये घणा दमदार।। स्नेहप्रेमचन्द