बारे में क्या लिखूं मैं, माँ तूने तो मुझे ही लिख डाला,कहाँ से लाऊँ वो स्याही और लेखनी,जो कह पाएं सर्वसत्य,कैसे किन किन जतनो से होगा तूने हम सबको पाला।। तेरे बारे में कुछ लिख सकें, ये सामर्थ्य मेरी लेखनी में नही,बस एक अरदास है परमपिता परमेश्वर से,वो जहां भी है,उन्हें शांति मिले, उनके ऋण से उऋण तो हम कभी हो ही नही सकते,उनके कर्म,प्रयास,ऊंचे सपनो का बखान भी सम्भव नही,आज माँ का श्राद्ध है,उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं हम,माँ हमारे श्रद्धासुमन स्वीकार कर लेना।।