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Poem on human nature.लोग by sneh premchand

माथा देख कर टीका  निकालते हैं लोग। हैसियत देख कर तोहफे दिया करते हैं लोग। जब भी जी चाहे नई दुनिया बस लेते है लोग। एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते है लोग।