नहीं विकल्प जिनका कोई दूजा, बंधु रे! मात पिता है उनका नाम, बस वक़्त बीते होता अहसास है, माँ बाप गुणों की अदभुत खान।। हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाले, ज़िन्दगी का परिचय अनिभूतियों से कराने वाले, हर समस्या का है जिनके पास निदान, मानुष चोले में हैं वे ईश्वर का वरदान।। वक़्त बीते होता अहसास है, मा बाप गुणों की अदभुत खान।। रूठ भी जाते थे,तो वे झट से मना लेते, प्रेम,सहजता और सुरक्षा पल में दे देते, न अब मनाता है कोई,न देता कोई अब मुस्कान, ये कैसा सफर है ज़िन्दगी का, बिन समझे भी है चलने का प्रावधान।। माँ बाप गुणों को अदभुत खान।। चित चिंता को झट से भगा देते थे, सौ सौ बार बलियां ले लेते थे, हम हैं न,कह कर जीवनपथ कर देते थे आसान।। अपने होते न बनने दिया इसे अग्निपथ बिन कहे ही समझ जाते थे मनोविज्ञान, माँ बाप गुणों की अदभुत खान।। जब कभी उदासी ने दस्तक दी ज़िन्दगी की चौखट पर,खोल देते गांठ मन की संग मुस्कान, एक उनके होने से ही कितना सुंदर लगता था जहान।। माँ बाप गुणों की अदभुत खान।। मात पिता खुद बन कर होता है हमे अहसास, वे बिन कहे ही कितना कुछ कर गए, क्यों समय रहते नही आया समझ थे सच मे कितन...