परवाह,प्रेम,भरोसा,सुरक्षा,शक्ति स्तम्भ और प्रेरणा पुंज हैं पर्याय पिता के, यही पिता की सच्ची परिभाषा स्पोर्ट सिस्टम,स्ट्रेंथ,सिक्योरिटी है पिता यथासंभव पूरी करता है हमारी हर अभिलाषा कभी रुकता नहीं,कभी थकता नहीं, चुनौतियों से मानी ना हार कभी, लाया ना जीवन में कभी निराशा ताने और कटाक्ष नहीं, देता है हमें पिता सदा हिदायतें, भरता है जीवन में आशा सुखद वर्तमान,उज्जवल भविष्य रहे सदा हमारा, शांत कर देता है हमारी हर जिज्ञासा पिता है तो मावस में भी पूनम से उजियारे की रहती है आशा अपनी जरूरतों को कम करके हमारे शौक पूरे करने की पिता की सदा रहती है अभिलाषा इजहार भले ही नही करना आता पिता को,पर चित में बहता है सागर स्नेह का,पिता जीवन की सबसे बड़ी आशा संवाद और संबोधन कभी कम ना करना पिता से, पिता प्रेम की सबसे सुंदर परिभाषा